ai job replacement strategy: आजकल हर तरफ एक ही चर्चा है AI आ गया है, और अब नौकरियाँ जाएँगी। लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा? या फिर ये सिर्फ एक डर है जिसे मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है?
सच कहें तो डर वाजिब है। लेकिन डर के आगे जीत भी होती है।
ai job replacement strategy: शुरुआत वहीं से करें जहाँ आप खड़े हैं
रवि, एक 38 वर्षीय अकाउंटेंट, पिछले 12 सालों से एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा था। जब उसने सुना कि कंपनी AI बेस्ड सॉफ्टवेयर ला रही है, तो उसके चेहरे पर चिंता साफ दिखी। अगर मशीन मेरा काम करेगी, तो मैं क्या करूंगा? उसने खुद से पूछा।
ऐसे सवाल आज लाखों लोग पूछ रहे हैं। लेकिन जवाब सिर्फ तकनीक में नहीं है जवाब है इंसानियत में।
AI से मुकाबला नहीं, तालमेल जरूरी है: ai job replacement strategy
AI तेज है, सटीक है, लेकिन उसमें वो संवेदना नहीं है जो एक इंसान में होती है। ग्राहक से बात करना, उसकी जरूरत समझना, टीम को मोटिवेट करना ये सब काम AI नहीं कर सकता।
आपको खुद से पूछना होगा: मेरे काम में ऐसा क्या है जो सिर्फ मैं कर सकता हूँ?
शायद आप बेहतर तरीके से समझा सकते हैं। शायद आप टीम को जोड़कर रख सकते हैं। यही आपकी ताकत है।
अपना स्किलसेट अपग्रेड करें, लेकिन इंसान बने रहें
AI को समझिए, सीखिए, लेकिन खुद को मशीन मत बनाइए। रवि ने Excel के साथ-साथ Power BI और ChatGPT जैसे टूल्स सीखना शुरू किया। लेकिन उसने अपने क्लाइंट्स से बात करना नहीं छोड़ा। यही वजह है कि जब कंपनी ने restructuring की, रवि को प्रमोशन मिला।
नौकरी नहीं, पहचान बचाइए
काम सिर्फ पैसे कमाने का जरिया नहीं है। ये आपकी पहचान है। और पहचान मशीन से नहीं बनती वो बनती है आपके नजरिए, आपके जज़्बे और आपके रिश्तों से।
AI आया, और बहुत कुछ बदलेगा। लेकिन इंसान की जगह नहीं ले सकता।
अगर आप सीखने को तैयार हैं, बदलाव को अपनाने को तैयार हैं, और अपनी इंसानियत को बनाए रखने को तैयार हैं तो कोई भी मशीन आपको रिप्लेस नहीं कर सकती।
तो अगली बार जब कोई कहे AI तुम्हारी नौकरी ले जाएगा, तो मुस्कुराइए और कहिए शायद, लेकिन मेरी जगह नहीं ले सकता।
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