
बाबा महाकाल होली

Holi Festival: सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में जलेगी होली
मंदिर परिसर में रंग-गुलाल पूरी तरह बैन
Shri Mahakaleshwar Temple: देश में सबसे पहले होली का पर्व 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर के आंगन में मनाया जाएगा. 13 मार्च को सांध्य आरती में भगवान महाकालेश्वर को गुलाल अर्पित होगा। आरती के बाद ओंकारेश्वर मंदिर के सामने परिसर में होलिका पूजन और सांध्य आरती के बाद होलिका दहन किया जाएगा।
बाबा के ऑगन में जलेगी सबसे पहले होली
श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के आंगन में सबसे पहले होली मनाने की परंपरा है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर में पारंपरिक रूप से सबसे पहले होली मनाई जाएगी। इस वर्ष 13 मार्च को महाकालेश्वर की सांध्य आरती में पुजारी सांकेतिक रूप से गुलाल अर्पित करेंगे। इसी दिन पुजारी परिवार की ओर से ओंकारेश्वर मंदिर के सामने परिसर में कंडों की होलिका सजाई जाएगी। सांध्य आरती के बाद पुजारी परिवार की महिलाएं पूजन करेंगी। इसके बाद होलिका दहन किया जाएगा।
बाबा को उड़ेगा हर्बल गुलाल
पिछले वर्ष धुलंडी के दिन लगी आग के चलते इस बार महाकाल मंदिर समिति की ओर एक किलो गुलाल अर्पित करने का निर्णय लिया गया है। श्रद्धालु किसी भी प्रकार के केमिकल वाले रंग और गुलाल लेकर मंदिर में नहीं आए। महाकालेश्वर की 14 मार्च को तड़के होने वाली भस्मआरती में पुजारियों की ओर से महाकालेश्वर को हर्बल गुलाल, अबीर अर्पित किया जाएगा।
श्रद्धालु के रंग गुलाल ले जाने और लगाने पर रोक
मंदिर में होली के महोत्सव मे गर्भगृह, नंदी मण्डपम, गणेश मण्डपम, कार्तिकेय मण्डपम एवं सम्पूर्ण मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल ले जाना, रंग-गुलाल उड़ाया जाना, आपस में रंग-गुलाल लगाना, किसी विशेष उपकरण का उपयोग कर रंग उड़ाना पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है।श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा महाकाल मंदिर परिसर के अंदर और बाहर प्रवेश व निर्गम द्वारों पर मंदिर में 13 मार्च व 14 मार्च को होली उत्सव और 19 मार्च पर होने वाले रंगपंचमी उत्सव में मंदिर में रंग, गुलाल, व कलर गन आदि सामग्री के प्रतिबंधित होने की सूचना लगा दी गई है।
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महाकाल करेंगे ठंडे जल से स्नान
Shri Mahakaleshwar Temple: 14 मार्च धुलेंडी के दिन सुबह 4 बजे भस्म आरती में सबसे पहले बाबा महाकाल को पुजारी-पुरोहितों द्वारा गुलाल लगाया जाएगा। इसी तरह महाकाल मंदिर में वर्ष में दो बार भगवान की दिनचर्या में परिवर्तन होता है। कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से ठंड के अनुसार आरती का समय होता है। वहीं चैत्र कृष्ण प्रतिपदा गर्मी के अनुसार आरती का समय निर्धारित हो जाता है।इस बार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च होली के दूसरे दिन से भगवान महाकाल के दिनचर्या में भी परिवर्तन आएगा। इस दिन से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा। ठंडे जल से स्नान का क्रम शरद पूर्णिमा तक रहेगा। इस दौरान प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती का समय भी बदल जाएगा।