
Hamida Banu: “जो मुझे हरा देगा उससे शादी करूंगी”
Hamida Banu: जो मुझे कुश्ती में हराएगा मैं उसी से शादी करूंगी, ऐसी महिला जिसे कोई आदमी नहीं हरा पाया. हम बात कर रहे है भारत की पहली महिला पहलवान हमीदा बानो की , जो अपने दौर में पुरुष पहलवानों को खुली चुनौती देने के लिए जानी जाती थी. कुश्ती के अखाड़े में कोई आदमी उनके सामने नहीं टिक पाया . यहां तक की उनसे लड़ने से पहले ही बड़े-बड़े पहलवान अपना नाम वापस ले लेते थे.
कौन थी Hamida Banu

Hamida Banu: 1900 के दशक में उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में पहलवान परिवार में जन्मी हमीदा हमेशा से ही कुश्ती करना चाहती थी. लेकिन उस दौर में कुश्ती सिर्फ पुरुषों तक ही सिमित थी. औरतें तो अखाड़े में उतरने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी. जब उन्होनें पहलवान करने की बात कहीं तो उनके परिवार ने उन्हें खूब सुनाया. तो हमीदा ने बगावत कर दी, और घर से अलीगढ़ भाग गई. वहां उन्होंने कुश्ती के दाव पैंच सीखे. और फिर मुकाबलों में उतरने लगी। कुछ ही दिनों में हमीदा उत्तरप्रदेश से लेकर पंजाब तक में मशहूर हो गई.
Hamida Banu: साल 1944 और जगह बंबई का एक स्टेडियम, जो खचाखच भरा हुआ था. बस कुछ मिनट बाद एक महिला पहलवान और पुरूष पहलवान के बीच कुश्ती का मुकाबला होने वाला था. सब कुछ ठीक चल रहा था. अचानक पहलवान ने अपना नाम वापस ले लिया. आयोजकों ने कहा पहलवान ने शर्तें रखी है, की उसे ज्यादा पैसे दिए जाए और मुकाबले की तैयारी के लिए थोड़ा वक्त दिया जाए ।

“जो मुझे हराएगा, उससे शादी करूंगी”
Hamida Banu: 1954 में हमीदा ने ऐसा एलान किया जिसे लेकर वो चर्चाओं में आ गई…उन्होंने कहा जो मुझे कुश्ती में हराएगा मैं उसी से शादी करूंगी…इस ऐलान के बाद तमाम पहलवानों ने उनका चैलेंज स्वीकार किया, लेकिन हमीदा के आगे टिक नहीं पाए.इसके बाद हमीदा अपने मुकाबले के लिए वडोदरा पहुंची, शहर में जगह-जगह उनके पोस्टर और बैनर लगे थे. हमीदा का मुकाबला छोटे गामा पहलवान से होना था, जिनका नाम ही काफी था। लेकिन गामा पहलवान ने हमीदा से लड़ने से मना कर दिया…उसके बाद हमीदा का मुकाबला बाबा पहलवान से हुआ. 4 मई 1954 में हुआ ये मुकाबला 1 मिनट 34 सेकेंड चला और हमीदा ने बाबा को धूल चटा दी….कहा जाता है की इस हार के बाद बाबा पहलवान ने संयास ले लिया….इसी मुकाबले की याद में आज Google Doodle बनाया गया है.
पति ने तोड़े हाथ-पैर
Hamida Banu: हमीदा बानो पुरी दूनिया में फेमस हो चुकी थी..और उन्होंने अपने कोच से शादी भी कर ली थी…एक बार हमीदा ने अपने पति से यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने की बात कहीं लेकिन उनके पति ने मना कर दिया, पर हमीदा अपनी बात पर अड़ी रही, इसलिए गुस्से में आकर हमीदा के पति ने उनके हाथ पैर तोड़ दिए। इसके बाद कई सालों तक वे लाठी के सहारे चलती रहीं.उस वक्त हमीदा बानो कल्याण में ही रह रहीं थी। कई दिनों तक उन्होंने सड़क किनारे खाने का सामान भी बेचा. और साल 1986 में उनकी गुमनामी में मौत हो गई. एक वक्त पर मशहूर और सबकी जबान पर छाई रहने वाली हमीदा कुछ इस तरह खोई की…उनकी मौत की किसी को खबर तक नहीं हुई।
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