Contents
- 1 क्या है उनकी इस सफलता का राज़
- 2 वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के आधार
- 3 मोस्ट हैप्पी कंट्री कहना सही
- 4 लगातार बाजी मार रहा है फिनलैंड
- 5 फिनलैंड की आबादी 56 लाख
- 6 पूरा देश एक दूसरे को मिलकर पालता
- 7 लोगों का लोगों पर भरोसा बहुत अधिक
- 8 पुलिस पर भी पूरा भरोसा
- 9 पिता पैरेंटल लीव लेते हैं
- 10 फिनलैंड में औसत आयु 81 साल
- 11 वर्क लाइफ बैलेंस
- 12 भारतीयों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है
क्या है उनकी इस सफलता का राज़
फिनलैंड एक ऐसा देश जो वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में पिछले सात सालों से नंबर एक बना हुआ है इसका मतलब है कि इस देश के जो नागरिक हैं वे दुनिया में सबसे ज्यादा खुश हैं।
इस देश की आबादी महज 56 लाख है सैलानी तो आते हैं लेकिन बहुत भीड़ नहीं होती यहां ना तो सिर्फ ठंडा मौसम, साफ आबोहवा या मोटी आमदनी खुशी की एकमात्र वजह है बल्कि इसके पीछे बहुत से फैक्टर हैं ये देश 2018 से ही वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में सबसे ऊपर है।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के आधार
हालांकि वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट एक तुलनात्मक तस्वीर पेश करती है सबसे अधिक खुश या अपेक्षाकृत कम खुश देशों की सूची तय करने के लिए किसी भी देश के आधारभूत ढांचे को देखा जाता है जैसे कि इन देशों में स्वास्थ्य सुविधा कैसी है गरीबी रोकने के लिए क्या किया गया है श्रम की मांग और आपूर्ति किस तरह की है जिन आधारों पर वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट बनाई जाती है किसी और देश को उन पर आपत्ति भी हो सकती है
यह भी कहा जा सकता है कि क्योंकि फिनलैंड जैसे देश की आबादी बहुत ही कम है इसलिए सबको खुश रखना आसान है जबकि बड़ी आबादी वाले देशों के लिए ऐसा करना संभव नहीं लेकिन इस बहस से अलग हम इस रिपोर्ट में उन तथ्यों को देखने की कोशिश कर रहे हैं जो फिनलैंड को सबसे ज्यादा खुश देश का तमगा देते हैं वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट अमेरिकी मल्टीनेशनल एनालिटिक्स एंड एडवाइजरी कंपनी गैलप ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का वेल बीइंग रिसर्च सेंटर और यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क मिल जुलकर जारी करता है इसके लिए जीडीपी पर कैपिटा यानी कि प्रति व्यक्ति आय से लेकर जीवन के फैसले लेने में आजादी और भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्ति जैसा पैमाना जो है वह शामिल है।
मोस्ट हैप्पी कंट्री कहना सही
फिनलैंड में इसे लेकर एक बहस भी चल रही है बहस इस बात की कि क्या इस देश को मोस्ट हैप्पी कंट्री कहना सही है या फिर मोस्ट कंटेंट कंट्री कहना ज्यादा सही होगा यानी कि सबसे ज्यादा खुश या सबसे ज्यादा संतुष्ट देश कई जानकार खुशी और संतुष्टि के बीच महीन सा अंतर पाते हैं और इसके लिए वह अपनी वजह भी बताते हैं फिनलैंड यह देश पिछले सात सालों से दुनिया का सबसे खुश देश है यह यूनाइटेड नेशन की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट कहती है
इस रिपोर्ट में 166 देशों को सूचीबद्ध किया गया है इसमें हर देश के नागरिकों को 10 पैमाना देकर कर पूछा गया कि वे इन आधारों पर बताएं कि उनका जीवन खुशगवार है या नहीं स्वास्थ्य व्यवस्था औसत आयु औसत आमदनी सामाजिक सहयोग भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था सरकार में भरोसा लोकतंत्र की गुणवत्ता प्रेस की आजादी लोगों की उदारता और जीवन के फैसले लेने की स्वतंत्रता इन मापदंडों के आधार पर तय किया जाता है कि दुनिया के किस देश के नागरिक सबसे अधिक खुश हैं इन पैमानों पर नॉर्डिक क्षेत्र के देश डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन और आइसलैंड भी ऊपर है लेकिन टॉप पर
लगातार बाजी मार रहा है फिनलैंड
वो देश जहां रोजगार मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल और ऐसे कई लाभ दिए जाते हैं उस देश के लोग खुश होते हैं लोकतंत्र संस्थानों को अहमियत स्वतंत्र प्रेस स्वतंत्र चुनाव कम भ्रष्टाचार यह सभी वह वजह हैं जो किसी देश के नागरिकों की संपन्नता को दर्शाती हैं और ऐसे देशों के नागरिक खुश रहते हैं लो करप्शन एंड सोथ कंव हा हा लेवल ऑफ सिजन हैप्पीनेस लेकिन कई फिनलैंड वासी है जिनकी राय है कि फिनलैंड को सबसे अधिक खुश देश की बजाय सबसे अधिक संतुष्टि वाला देश कहा जाना चाहिए ।
हैप्पीनेस टर्म खुशी एक टर्मिनोलॉजी है इसका मतलब हमेशा एक नहीं होता इसके लिए संतुष्टि शब्द ज्यादा सटीक है इसका मतलब यह है कि आपके पास जो कुछ भी है आप उसी में संतुष्ट रहेंगे ऐसा कहा जाता है कि हम सबसे खुश लोग हैं इसका मतलब है कि हम एक आनंद जीवन जी रहे हैं बसने एक्स फिनलैंड में सरकारी तंत्र से लेकर सामाजिक व्यवस्था तक इस तरह की की गई है कि हर किसी को भरपूर जीवन जीने का मौका मिले।
फिनलैंड की आबादी 56 लाख
फिर भी सवाल है कि सरकार सबका ख्याल कैसे रखती है इसका एक बड़ा जरिया इनकम टैक्स है हर कमाने वाले को अपनी कमाई के अनुपात में टैक्स देना होता है जो कि हर देश में होता है लेकिन फिनलैंड में उच्च आय वर्ग वालों को 50 फीसद तक टैक्स देना होता है यह किसी को बहुत ज्यादा लग सकता है लेकिन टैक्स भरने के बाद आपको ना तो अस्पताल में किसी इलाज का बिल भरना है और ना ही बच्चे की शिक्षा के लिए कोई फीस देनी है और यह सुविधा सिर्फ टैक्स भरने वालों के लिए ही नहीं है जो टैक्स भर पाने की हालत में नहीं है उनके लिए भी है
पूरा देश एक दूसरे को मिलकर पालता
पूरा देश एक दूसरे को मिलकर पालता है यह नहीं कि आपकी नौकरी चली गई तो आपको खाने के लाले पड़ जाएंगे कम आय वाले लोगों को फायदा पहुंचाया जाता है इसके जरिए उन्हें रोजगार संबंधी लाभ और और कई जरूरतें मुहैया कराई जाती हैं बच्चों के लिए एक अच्छी शिक्षा प्रणाली स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं से लेकर बुनियादी ढांचे तक सब इसमें शामिल है इस तरह से सड़कें इमारतें सभी तरह की सुविधाओं का सुख सभी नागरिकों को मिलता है
2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसदी फिनलैंड वासी अपना टैक्स चुका कर खुश है 96 फीस लोग टैक्स चुकाने को एक अहम जिम्मेदारी मानते हैं और 98 फीदी मानते हैं कि फिनलैंड को एक जन कल्याणकारी देश बनाए रखने के लिए टैक्स चुकाना बहुत ही अहम है नौकरी जाने या काम ना होने की सूरत में सरकार अपने नागरिकों को तयशुदा रकम देती है जब तक कि उसे अगली नौकरी ना मिल जाए नौकरी हो या ना हो फिनलैंड में स्वास्थ्य सेवा और घर की सुरक्षा सबके लिए सुनिश्चित है चाहे वह श्रमिक हो कामगार हो या फिर किसी भी स्तर और वर्ग का व्यक्ति हो।
लोगों का लोगों पर भरोसा बहुत अधिक
फिनलैंड में लोगों का लोगों पर भरोसा बहुत अधिक है और इस नतीजे तक पहुंचने के लिए एक अनोखा तरीका भी अपनाया गया हेलसिंकी शहर के अलग-अलग हिस्सों में 20 बटुए को लावारिस छोड़ दिया गया इनमें कुछ पैसे और बटुए के मालिक का पता रखा गया हमें बताया गया कि 20 में से 19 बटुए मालिक के पते पर वापस पहुंच गए यानी कि यह जो भरोसा है वह भी के लोगों की खुशी का एक बहुत ही बड़ा आधार है फिनलैंड में 85 फीसद लोग एक दूसरे पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं जो यूरोप के लिहाज से सबसे अधिक है।
पुलिस पर भी पूरा भरोसा
फिनलैंड के 90 फीसद लोगों का पुलिस पर भी पूरा भरोसा है और सरकार पर भी फिनलैंड में महिला पुरुष लैंगिक समानता पर बहुत ही अधिक जोर है यहां के वर्कफोर्स में 49 फ भागीदारी महिलाओं की है घरेलू काम सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी ना हो यह भी सुनिश्चित किया गया है यहां महिलाएं घरेलू काम में औसतन जहां न घंटा 15 मिनट समय देती हैं वहीं पुरुष दो घंटा 38 मिनट का समय देते हैं यह किसी एक वर्ग विशेष के लिए नहीं है बल्कि अमीर से अमीर घरों में भी ऐसा होता है फिनलैंड एक वर्क सेंट्रिक कल्चरस में से एक है जिससे काम करने वाली महिलाओं को भी सपोर्ट मिलता है कई दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता और इसका अहम कारण है।
पिता पैरेंटल लीव लेते हैं
फिनलैंड के 80 फीसद पिता पैरेंटल लीव लेते हैं फिनलैंड का एकमात्र ऐसा विकसित देश होने का दावा है जहां के पिता अपने स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ मां के मुकाबले अधिक समय बिताते हैं फिनलैंड में प्राइमरी हेल्थ केयर से लेकर बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज मुफ्त है यहां मां के गर्व से ही बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी सरकार संभाल लेती है हर इलाके में बने इस तरह के हेल्थ सेंटर से मां और नवजात बच्चों की जो स्वास्थ्य सेवा शुरू होती है वह उनके बुजुर्ग होने तक सतत रूप से जारी रहती है यर एंड हाउ दिस मुझे लगता है कि निशुल्क सहायता के लिए लोगों की बात सुनने के लिए और उन्हें सलाह देने के लिए कोई है और वह भी हर हफ्ते और उन्हें पूरा सहयोग मिलता है।
फिनलैंड में औसत आयु 81 साल
फिनलैंड में औसत आयु 81 साल से अधिक है सटीक स्वास्थ्य व्यवस्था का इसमें अपना योगदान है और जहां तक औसत आमदनी का सवाल है तो फिनलैंड में में औसत तनख्वा 3807 यूरो या 4207 अमेरिकी डॉलर प्रति माह है लेकिन आयु और प्रति व्यक्ति आय ही सब कुछ नहीं है फिनलैंड की सामाजिक संरक्षण और प्रशासनिक व्यवस्था इस तरह की है जो हर नागरिक को जीवन जीने का पूरा मौका देती है।
वर्क लाइफ बैलेंस
फिनलैंड के लोगों के जीवन में संतुष्टि के भाव के पीछे एक बड़ी वजह बताई जाती है वर्क लाइफ बैलेंस यानी कि दफ्तर के काम और निजी जीवन के बीच का संतुलन इस बारे में हमने यहां कई लोगों से बात की आखिर काम और निजी जीवन के बीच ऐसा क्या तालमेल है कि किसी को दफ्तर के किसी बॉस से कोई शिकायत नहीं होती और जो कुछ भी हमने जाना पेश है आपके सामने यह तरुण शर्मा का परिवार है तरुण शर्मा और उनकी पत्नी शालिनी शर्मा करीब 23 साल पहले भारत से फिनलैंड आए और यहीं बस गए इनके दो बच्चे हैं फिनलैंड में काम और जीवन का संतुलन यानी कि वर्क लाइफ बैलेंस ।
ऐसा है कि बच्चों की परवरिश या किसी भी व्यक्तिगत व्यस्तता के बीच नौकरी कभी आड़े नहीं आती यहां पे वह कल्चर में है यहां पर हर कोई काम करता है हस्बैंड वाइफ दोनों काम करते हैं कई बार एक करता है कई बार दोनों करते हैं तो यहां पर बहुत ओपनली सोसाइटी को पता है कि अगर आपको 3:00 बजे जाना है अपने बच्चे को डे केयर से पिक करने तो आपको कोई नहीं पूछेगा आप कहां जा रहे हो वो आप जब आपको जाना है आप जाओ क्योंकि वो एक ट्रस्ट ये एक ट्रस्ट बेस सोसाइटी है उनको पता है अगर आप जल्दी निकल गए ऑफिस से तो आप बाद में आके अपना काम खत्म करोगे इसलिए यहां पे बहुत फ्लेक्सिबल लोग काम करते हैं ना सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के देशों से फिनलैंड आकर यहीं का हो जाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है।
भारतीयों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है
फिनलैंड में भारतीयों की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है यहां कामकाज के लिए आने वालों के साथ-साथ अच्छी खासी तादाद में छात्र भी पहुंच रहे हैं पिछले कई सालों से भारत फिनलैंड के बीच आपसी सहयोग और समन्वय बढ़ रहा है फिनलैंड में ना सिर्फ स्कूली शिक्षा मुफ्त है बल्कि उच्च शिक्षा में भी कोई फीस नहीं लगती ना फिनलैंड के नागरिकों के लिए और ना ही बाहर से पढ़ने आने वाले छात्रों के लिए हालांकि हाल में इसमें थोड़ी तब्दीली की गई है बाहर से आने वालों में जिनके पास रेजिडेंट परमिट है उनको तो शिक्षा पूरी तरह मुफ्त मिलती है।
सिर्फ जो स्टूडेंट वीजा पर आते हैं उनको हर साल एक रकम भरनी पड़ती है हां बेसिक एजुकेशन स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी लेवल तक सारे फ्री है लेकिन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर्टिकुलर जो आउटसाइड यूरोपियन यूनियन आते हैं उनके लिए फीस लगाई है यानी पहले नहीं थी अब लगाई है पहले नहीं है।
2017 से फीस स्टार्ट किया है यूं तो भारतीयों का योगदान स्टार्टअप से लेकर बिजनेस तक में है लेकिन यहां सबसे अधिक भारतीय आईटी सेक्टर में काम कर रहे हैं यं कहे तो गलत नहीं होगा कि फिनलैंड में आईटी सेक्टर में भारतीयों की जबरदस्त मांग है मेरी मुलाकात ऐसे भारतीयों से हुई जो बिहार और झारखंड से ताल्लुकात रखते हैं और कई सालों से फिनलैंड में हैं।
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