dalai lama 90th birthday 2025 celebration: PM मोदी और ओबामा समेत दिग्गजों ने दी शुभकामनाएं
dalai lama 90th birthday 2025 celebration: 6 जुलाई 2025 को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित त्सुगलाखंग बौद्ध मठ में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का 90वां जन्मदिन भव्य रूप से मनाया गया। इस मौके पर दुनिया भर से बधाइयों का सिलसिला जारी रहा।
PM मोदी ने बताया करुणा का प्रतीक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर दलाई लामा को बधाई देते हुए लिखा, “1.4 अरब भारतीयों की ओर से मैं परम पूज्य दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं। वे प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन का प्रतीक हैं।”
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों ने भेजा वीडियो संदेश
जन्मदिन समारोह में एक खास वीडियो संदेश भी दिखाया गया, जिसमें बराक ओबामा, बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश ने दलाई लामा को शांति, अहिंसा और करुणा का वैश्विक प्रतीक बताया। तीनों नेताओं ने उनके दीर्घ जीवन और स्वास्थ्य की कामना की।
दलाई लामा की इच्छा- 130 साल तक जीवन
इससे एक दिन पहले शनिवार को दलाई लामा ने कहा, “मेरा लक्ष्य 130 वर्ष या उससे अधिक जीवित रहना है, ताकि मैं बौद्ध धर्म और तिब्बती समुदाय की अधिक सेवा कर सकूं।” उन्होंने बताया कि उनकी आंतरिक शक्ति और धैर्य का स्रोत बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद है, जिनके विचारों से वे हर सुबह दिन की शुरुआत करते हैं।
जन्मदिन समारोह में दिखी सांस्कृतिक झलक
धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित बौद्ध मठ में आयोजित इस समारोह में तिब्बती कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुत किए। हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू और राजीव रंजन भी इस आयोजन में शामिल हुए।
बचपन से ही विशेष पहचान
दलाई लामा का असली नाम ल्हामो धोन्डुप था। वे 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के ताक्सर गांव में जन्मे। केवल 2 वर्ष की आयु में उन्हें 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया। 1940 में पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ उन्हें तिब्बत का आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता घोषित किया गया।
1959 से भारत में निर्वासन
1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, तो 15 वर्ष के दलाई लामा को नेतृत्व की जिम्मेदारी लेनी पड़ी। 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद वे 80 हजार तिब्बतियों के साथ भारत आ गए। भारत सरकार ने उन्हें धर्मशाला में शरण दी और यहीं से उन्होंने निर्वासित तिब्बती सरकार की नींव रखी।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित
दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे वर्षों से दुनियाभर में अहिंसा, संवाद और करुणा के संदेश वाहक बने हुए हैं। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान, विशेषकर बौद्ध धर्म, योग, ध्यान और मन की प्रकृति को वैश्विक मंचों तक पहुंचाया।
भारत से भावनात्मक जुड़ाव
दलाई लामा कई बार कह चुके हैं कि “भारत मेरा आध्यात्मिक घर है।” उन्होंने कहा, “मेरे शरीर का पोषण भारत के भोजन से हुआ है और मेरा मन भारत के ज्ञान से।” वे भारत को गुरुओं की भूमि मानते हैं और कहते हैं कि वे यहां से मानवता, नैतिकता और सौहार्द का संदेश देते रहेंगे।
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