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कोविड-19 के कारण उपजी परिस्थितियों ने दुनियाभर में कुपोषण के बोझ को भी बढ़ा दिया
Covid 19: दुनिया में जारी कोरोना महामारी को चार साल से अधिक का समय बीत गया है। इस दौरान कोरोना के वेरिएंट में कई बार म्यूटेशन हुआ और संक्रमितों में हल्के से लेकर गंभीर स्तर के लक्षण सामने आए। अभी तक कोरोना का खतरा अभी भी थमा नहीं है।
डव्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों का दावा
रिपोर्ट के अनुसार मोटापा सहित अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा Covid 19 के कारण बढ़ा है। दो साल घट गई लोगों की आयु रिपोर्ट्स के मुताबिक वायरस में एक बार फिर से म्यूटेशन हुआ है, जिससे उत्पन्न नया सब-वेरिएंट कई देशों में संक्रमण बढ़ाता हुआ देखा जा रहा है।
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सिंगापुर की रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां पर दो सप्ताह में ही कोरोना के मामलों में 90 फीसदी से अधिक की वृद्धि रिपोर्ट की गई है। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने सभी लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर लगातार सावधानी बरतते रहने की अपील की है। रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने कहा कोविड-19 के कारण वैश्विक जीवन प्रत्याशा में लगभग का |
दो साल की कमी आ गई है। जीवन प्रत्याशा या लाइफ एक्सपेक्टेंसी उन अतिरिक्त वर्षों की ओसत संख्या का अनुमान है जो एक निश्चित आयु का व्यक्ति जीने की उम्मीद कर सकता है।
Covid 19: एक दशक में लाइफ एक्सपेक्टेंसी बेहतर
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पिछले एक दशक में लाइफ एक्सपेक्टेंसी में बेहतर देखा जा रहा था। हालांकि कोविडउ-19 के कारण इसमें गिरावट आ गई है। संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर डब्ल्यूएचओ ने बताया कि पिछली आधी सदी में किसी भी अन्य घटना की तुलना में कोविड ने संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर सबसे गहरा प्रभाव डाला है। कोविड के शुरुआती दौर में ही साल 2020-2021 के दौरान 15.9 मिलियन (1.59 करोड़) से अधिक लोगों की मौत हुई।
कई प्रकार की बीमारियां विकसित हुई
Covid 19 महामारी ने संपूर्ण स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, संक्रमण के कारण लोगों में कई प्रकार की बीमारियां भी विकसित होती देखी गई हैं। इन परिस्थितियों ने लाइफ एक्सपेक्टेंसी को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। कोविड- 19 के कारण वैश्विक जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष गिरकर अब 71.4 वर्ष रह गई है। साल 2012 में भी जीवन प्रत्याशा इसी के आसपास थी।
अधिक वजन और कुपोषण का जोखिम
Covid 19 ने सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। कोविड के कारण दुनियाभर में कुपोषण के बोझ को भी बढ़ा दिया है। 2022 में, पांच साल और उससे अधिक उम्र के एक अरब लोग मोटापे के साथ जी रहे थे, जबकि आधे अरब लोग कम वजन वाले थे।
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