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पंचांग में मतभेद होने पर ‘धर्म सिंधु ग्रंथ’ से निर्धारित होता है पर्व
रोशनी का त्योहार 28 अक्टूबर, 2024 से शुरू होगा, लेकिन दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाए या 1 नवंबर को, इस पर ज्योतिषियों में मतभेद है। दरअसल, अमावस्या तिथि दोनों दिन ही होगी, यही वजह है कि तिथि को लेकर कोई सहमति नहीं बन पा रही है।
देश में कई तरह के पंचांग हैं। इस साल यानी 2024 में काशी-अयोध्या में अलग-अलग दिन दिवाली मनाई जाएगी। भारत सरकार के एस्ट्रोनॉमी सेंटर की ओर से जारी राष्ट्रीय कैलेंडर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, यूपी और बिहार समेत कई राज्यों के सरकारी कैलेंडर में दिवाली 31 अक्टूबर बताई गई है।
ज्योतिषियों की क्या राय है?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हिंदू जन्म भूमि पंचांग के अनुसार उदय तिथि के आधार पर कार्तिक अमावस्या शुक्रवार 1 नवंबर को है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष व्यापिणी के मुहूर्त में दिवाली की पूजा करना शास्त्रों के अनुसार है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद होता है। अमावस्या तिथि 1 नवंबर को सूर्यास्त के तुरंत बाद समाप्त हो जाएगी। ऐसे में प्रदोष काल की अवधि कम रहेगी। अमावस्या पर निशीथ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा का महत्व है। 1 नवंबर को निशीथ मुहूर्त नहीं है, ऐसे में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना बेहतर रहेगा।
वही दिवाली के दिन निशीथ मुहूर्त और स्थिर चढ़ाई में पूजा की जाती है। कार्तिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है और दीपक जलाया जाता है। दिवाली की पूजा वृषभ, सिंह और कुंभ राशि में करना श्रेष्ठ होता है, इसमें भी सिंह राशि का एक निश्चित राशि चक्र होता है, जो रात 12 बजे के बाद ही नजर आता है। निशीथ मुहूर्त 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि पर उपलब्ध होगा, जबकि निशीथ मुहूर्त 1 नवंबर को उपलब्ध नहीं है, यह प्रतिपदा तिथि में होगा। ऐसे में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जानी चाहिए।
वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार त्योहार मनाने के लिए उदयतिथि मानी जाती है इसलिए 1 नवंबर को दिवाली मनाना उचित रहेगा।
1 नवंबर को दिवाली मनाने की वजह
1 नवंबर की शाम 6 बजे तक रहेगी इसलिए कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि इस तिथि को लक्ष्मी पूजा करनी चाहिए क्योंकि पूरा दिन अमास होता है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि जब अमावस्या तिथि के दो दिन होते हैं, तो अगले दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए। 31 अक्टूबर को चतुर्दशी तिथि के साथ अमावस्या होगी। चतुर्दशी तिथि को रिक्त तिथि माना जाता है। इसलिए यह लक्ष्मी पूजा के लिए उपयुक्त नहीं है। प्रतिपदा की अमावस्या के दिन 1 नवंबर को दीपावली की पूजा उत्तम रहेगी।
दिवाली कब मनाई जाएगी? पंचांग में मतभेद के चलते ऐसी स्थिति बन रही है जिसमें देश में 2 दिन दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली 31 अक्टूबर को द्वारका, तिरुपति, काशी, मथुरा-वृंदावन, तिरुपति, उज्जैन आदि स्थानों पर मनाई जाएगी। दिवाली 1 नवंबर को अयोध्या, रामेश्वरम, इस्कॉन और कुछ अन्य स्थानों पर मनाई जाएगी।
लक्ष्मी पूजा 2024 कैलेंडर
- धनतेरस: मंगलवार, 29 अक्टूबर
- चौदहवां 30 अक्टूबर, बुधवार
- दिवाली: 31 अक्टूबर, गुरुवार
- लक्ष्मी पूजा: 01 नवंबर, शुक्रवार
- गोवर्धन पूजा, अन्नकूट: 2 नवंबर, शनिवार
- भाई दौज: 3 नवंबर, रविवार