
karpuri thakur
CM Yogi Tribute Karpoori Thakur: पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की सोमवार 17 फरवरी यानी की आज 37 वीं पुण्यतिथी हैं। इस दौरान सीएम योगी और सीएम धामी ने ट्वीट कर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी।
आपको बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का फ़ैसला किया और 30 मार्च 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत मिले भारत रत्न सम्मान को उनके पुत्र सह जदयू सांसद रामनाथ ठाकुर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्राप्त किया था।
सीएम योगी ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि
सीएम योगी ने कर्पूरी ठाकुर को याद करते हुए अपने एक्स पर ट्वीट करते हुए श्रद्धंजलि देते हुए लिखा कि- “बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय के पुरोधा, ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर जी शोषित और वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए आजीवन प्रतिबद्ध रहे।
सामाजिक समता के लिए उनका संघर्ष और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति उनका समर्पण सदैव स्मरणीय रहेगा।
आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।”
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय के पुरोधा, ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर जी शोषित और वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए आजीवन प्रतिबद्ध रहे।
सामाजिक समता के लिए उनका संघर्ष और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति उनका समर्पण सदैव स्मरणीय रहेगा।
आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र… pic.twitter.com/jq7mTfkmnd
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 17, 2025
CM धामी ने ट्वीट कर किया नमन..
सीएम धामी ने कर्पूरी ठाकुर को याद करते हुए अपने एक्स पर ट्वीट करते हुए नमन किया और लिखा कि “महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय के पुरोधा, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित आपका समस्त जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।”
महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय के पुरोधा, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित आपका समस्त जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। pic.twitter.com/k5Q1O8Todi
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 17, 2025
कौन है कर्पूरी ठाकुर
24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया (अब कर्पूरीग्राम) में जन्में कर्पूरी ठाकुर 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे। राजनीति में इतना लंबा सफ़र बिताने के बाद जब 64 साल की उम्र में 17 फरवरी 1988 को उनका निधन हुआ तो उनके पास अपने परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था
आपको बता दें कि भारत छोड़ो आंदोलन के समय कर्पूरी ठाकुर ढाई साल जेल में रहे थे। वे मानवता के प्रतीक, गरीबों, शोषित, वंचित, पिछड़ों एवं दलितों के मसीहा और समाजवाद के पुरोधा थे। वे बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री व कई साल तक विरोधी दल के नेता रहे। 1971 में मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों को बड़ी राहत देते हुए उन्होंने गैर लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स को बंद कर दिया। उन्होंने राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बना दिया था
1977 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंगेरीलाल कमीशन लागू करके राज्य की नौकरियों आरक्षण लागू करने के चलते वो हमेशा के लिए सर्वणों के दुश्मन बन गए, लेकिन कर्पूरी ठाकुर समाज के दबे पिछड़ों के हितों के लिए काम करते रहे। उनकी युवाओं को रोजगार देने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इतनी थी कि एक कैंप आयोजित कर 9000 से ज़्यादा इंजीनियरों और डॉक्टरों को एक साथ नौकरी दे दी।