कब्ज की समस्या
आयुर्वेद में कब्ज को “विष्टब्धता” कहा जाता है, जो वात दोष के असंतुलन के कारण होती है। अपच, कम पानी पीना, और कम फाइबर युक्त भोजन इस असंतुलन को बढ़ाते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर सलाह देते हैं कि कब्ज से राहत के लिए प्राकृतिक और फाइबर युक्त आहार को अपनाना चाहिए। फलों के रस, जैसे प्रून, सेब, और नाशपाती का जूस, पाचन तंत्र को बेहतर करते हैं। इनमें मौजूद प्राकृतिक शुगर और फाइबर मल को नरम करते हैं और आंतों की गतिशीलता को बढ़ाते हैं। आयुर्वेद में प्रून जूस को विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से लैक्सेटिव (रेचक) का काम करता है।
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प्रून जूस क्या है?
प्रून जूस सूखे आलूबुखारे (Dried Plums) से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए पके हुए प्लम को सुखाकर उनका रस निकाला जाता है। यह जूस फाइबर, सोर्बिटोल (एक प्राकृतिक शुगर अल्कोहल), और पॉलीफेनॉल्स से भरपूर होता है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। प्रून जूस में मौजूद सोर्बिटोल पानी को आंतों में खींचता है, जिससे मल नरम होता है और मल त्याग आसान हो जाता है। इसमें लगभग 2.6 ग्राम फाइबर प्रति 8 औंस (256 ग्राम) होता है, जो दैनिक फाइबर आवश्यकता का 9% पूरा करता है। इसके अलावा, यह विटामिन सी, आयरन, और पोटैशियम का भी अच्छा स्रोत है।
Chronic Constipation Relief: प्रून जूस के फायदे
- कब्ज से राहत: प्रून जूस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कब्ज को कम करने में प्रभावी है। एक अध्ययन के अनुसार, 54 ग्राम प्रून जूस (लगभग 54 मिलीलीटर) रोजाना 8 सप्ताह तक पीने से मल की आवृत्ति और स्थिरता में सुधार हुआ।
- पाचन स्वास्थ्य: इसमें मौजूद फाइबर और सोर्बिटोल आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं।
- हृदय स्वास्थ्य: प्रून जूस में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और पोटैशियम कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और हृदय रोगों से बचाव करते हैं।
- सुरक्षित और प्राकृतिक: यह बिना साइड इफेक्ट्स के एक सुरक्षित उपाय है, बशर्ते इसे संयमित मात्रा में लिया जाए।
प्रून जूस का उपयोग कैसे करें
आयुर्वेदिक डॉक्टर सलाह देते हैं कि वयस्कों को दिन में 4-8 औंस (120-240 मिलीलीटर) प्रून जूस पीना चाहिए। बच्चों के लिए 2-4 औंस पर्याप्त है। इसे सुबह खाली पेट या भोजन के बाद लिया जा सकता है। इसे स्मूदी में मिलाकर या सलाद ड्रेसिंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, अधिक मात्रा में सेवन से दस्त या पेट में ऐंठन हो सकती है, इसलिए शुरुआत कम मात्रा से करें। साथ ही, पर्याप्त पानी पीना और फाइबर युक्त भोजन, जैसे सेब, केला, और हरी सब्जियां, खाना जरूरी है।
Chronic Constipation Relief: सावधानियां
प्रून जूस में शुगर और कैलोरी अधिक होती है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के मामले में, अगर 3 महीने से अधिक समय तक लक्षण रहें, तो डॉक्टर से सलाह लें।