
Chhattisgarh Surrender Policy
Chhattisgarh Surrender Policy: छत्तीसगढ़ सरकार नई सरेंडर और पुनर्वास नीति शुरू करने जा रही है। इसके तहत माओवादी हमलों में मारे गए पुलिस मुखबिरों के परिवारों के लिए मुआवजे की राशि को बढ़ा दिया गया है। अब इस राशि को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया जाएगा।
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अधिकारियों के मुताबिक नीति को अभी आधिकारिक रूप से लागू किया जाना बाकी है, लेकिन जल्द ही इसे लागू किए जाने की उम्मीद है।
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी भी शामिल
बता दे कि पुलिस मुखबिर वे होते हैं जो बस्तर में माओवाद विरोधी अभियानों के दौरान पुलिस की मदद करते हैं। इनमें ज्यादातर आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी भी शामिल होते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के एक IAS अधिकारी ने कहा कि नई नीति वित्तीय सहायता, शिक्षा और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करके माओवादी आंदोलन की अपील को दबाने और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाली सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने का प्रयास करती है।
Chhattisgarh Surrender Policy: अन्य राज्यों के पीड़ित भी कर सकते हैं दावा
यह नीति साल 2000 में राज्य के गठन के बाद से माओवादी हिंसा के सभी पीड़ितों को फायदा देती आई है। पीड़ितों के परिवार, स्थायी विकलांगता वाले व्यक्ति और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी इसके पात्र हैं। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों के कारण और भी राज्यों के पीड़ित भी इसके तहत सहायता का दावा कर सकते हैं।
Chhattisgarh Surrender Policy: इस नीति में पीड़ितों के लिए वित्तीय मुआवजा बढ़ाने का वादा किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक माओवादी हमलों में मारे गए पुलिस गुप्तचरों के परिवारों को 10 लाख रुपए मिलेंगे। स्थायी रूप से विकलांग व्यक्ति 3 से 5 लाख रुपए तक की सहायता के पात्र होंगे। वहीं माओवादी हमले में क्षतिग्रस्त हुए घरों के लिए भी सहायता राशि में वृद्धि की गई है। साथ ही खेती और निर्माण मशीनरी के लिए मुआवजे की राशि को नुकसान के आधार पर बढ़ाकर 60,000 और 8 लाख रुपए कर दिया है।