Nirai Mata Temple Chhattisgarh: भारत रहस्यों और आस्था का देश है। यहां ऐसे कई मंदिर हैं जिनकी परंपराएं और मान्यताएं लोगों को चकित कर देती हैं। इन्हीं में से एक है छत्तीसगढ़ का निरई माता मंदिर, जो साल में केवल 5 घंटे के लिए ही खुलता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और महिलाओं से जुड़े विशेष नियम इसे और भी रहस्यमय बनाते हैं।
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कहां स्थित है निरई माता मंदिर?
निरई माता मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। घने जंगलों और प्राकृतिक सुंदरता के बीच बसे इस मंदिर को देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहाँ देवी की पूजा बहुत ही प्राचीन काल से चली आ रही है।

साल में सिर्फ 5 घंटे के लिए खुलता है मंदिर…
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यह साल में सिर्फ एक बार और मात्र 5 घंटे के लिए ही खुलता है।

हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिर के द्वार सुबह 4 बजे से 9 बजे तक के लिए खोले जाते हैं। इन कुछ घंटों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। मंदिर के बंद रहते समय किसी को भी वहाँ जाने की अनुमति नहीं होती।
बिना तेल के जलती है ज्योति – एक अनसुलझा रहस्य…
ग्रामीणों का कहना है कि नवरात्र के दौरान निरई माता मंदिर में अपने आप ही एक ज्योति प्रज्वलित होती है, जो नौ दिनों तक लगातार जलती रहती है।
आश्चर्य की बात यह है कि यह दीपक बिना तेल या घी के जलता रहता है। लोग इसे माता का चमत्कार मानते हैं। विज्ञान इस रहस्य का अब तक कोई स्पष्ट कारण नहीं बता पाया है।

महिलाओं के लिए बने हैं विशेष नियम…
निरई माता मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यहां केवल पुरुष ही पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं।
स्थानीय मान्यता है कि अगर कोई महिला मंदिर के अंदर जाती है या मंदिर का प्रसाद ग्रहण करती है, तो उसके साथ अनहोनी हो सकती है। इसीलिए महिलाएँ मंदिर परिसर के बाहर से ही माता को प्रणाम करती हैं।

पूजा में नहीं चढ़ाया जाता सिंदूर और श्रृंगार…
निरई माता की पूजा में सिंदूर, कुमकुम, गुलाल या श्रृंगार का सामान नहीं चढ़ाया जाता।
यहां देवी को नारियल और अगरबत्ती अर्पित की जाती है। लोगों का मानना है कि माता को साधारण भक्ति और सच्चे मन से प्रसन्न किया जा सकता है, न कि बाहरी दिखावे से।
