bjp president 2025 race: जातीय और क्षेत्रीय समीकरण तय करेंगे अगला चेहरा
bjp president 2025 race: भाजपा जल्द ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकती है। न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा 6 दावेदारों पर विचार किया जा रहा है, जिनमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, भाजपा महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े के नाम शामिल हैं।
क्यों बदलेगा नेतृत्व?
वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है और वे अभी एक्सटेंशन पर हैं। साथ ही वे मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं, जिस कारण पार्टी अब पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति को जरूरी मान रही है।
जेपी नड्डा को पहले 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था और जनवरी 2020 में उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
चयन प्रक्रिया और मापदंड
भाजपा नेतृत्व नए अध्यक्ष के चयन में तीन मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रख रहा है:
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संगठनात्मक अनुभव
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जातीय समीकरण
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क्षेत्रीय संतुलन
सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए एक केंद्रीय चुनाव समिति का गठन हो सकता है। यदि चुनाव कराना पड़ा, तो यह समिति नामांकन, जांच और मतदान की पूरी प्रक्रिया को अंजाम देगी।
कौन-कौन हैं रेस में?
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शिवराज सिंह चौहान – मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, ओबीसी चेहरा, संगठन में लंबे अनुभव वाले नेता
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मनोहर लाल खट्टर – हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, आरएसएस बैकग्राउंड, प्रशासकीय अनुभव
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भूपेंद्र यादव – केंद्रीय मंत्री, संगठन के पुराने खिलाड़ी, जातीय संतुलन के लिहाज़ से मजबूत दावेदार
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धर्मेंद्र प्रधान – ओडिशा से, दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत करने के लिए उपयोगी चेहरा
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सुनील बंसल – भाजपा के संगठनात्मक मामलों के जानकार, युवा चेहरा
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विनोद तावड़े – महाराष्ट्र से, संगठन में सक्रिय भूमिका निभा चुके नेता
26 प्रदेश अध्यक्ष पहले ही चुने जा चुके
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब पार्टी के 50% प्रदेशों में अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी हो। फिलहाल 37 में से 26 राज्यों में अध्यक्ष चुने जा चुके हैं, जिनमें हाल ही में हिमाचल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन दीव और लद्दाख शामिल हैं।
नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौतियां
नए अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होगा और उन्हें 12 राज्यों में आगामी चुनावों की चुनौती का सामना करना होगा। पार्टी संविधान के अनुसार एक व्यक्ति दो बार से अधिक अध्यक्ष नहीं बन सकता, इसलिए नेतृत्व परिवर्तन अनिवार्य है।
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