Salkanpur Bijasan Mata Mandir: भोपाल से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर सिहोर जिले के एक गांव सलकनपुर में 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर एक मंदिर बना हुआ है, जिसमें माता रानी विराजमान है, जो बीजासन माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर मां विंध्यवासिनी देवी को समर्पित हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 1400 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है।
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मंदिर में 400 साल से जल रही ज्योत
इस मंदिर में एक बेहद चमत्कारिक घटना होती है। मंदिर में लगभग 400 साल से अखंड ज्योत जल रही है। यहां दो ज्योति जलती है, इसमें से एक ज्योति घी से जलाते है। दूसरा दिया नारियल के तेल से जलाते हैं। यह घटना भक्तों को मंदिर की ओर आकर्षित करता है। यह मंदिर भी लगभग 400 साल पुराना है।
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52वीं शक्तिपीठ है यहां विराजमान
यह मंदिर बेहद पुराना है, यहां विराजमान बीजासन माता को 52वां शक्तिपीठ कहा जाता है। कहते है, माता ने रक्तबीज राक्षस का वध करने के लिए महिषासुरमर्दिनि का रुप धारम किया था। इसी स्थान पर विजयी मुद्रा में तपस्या की थी, इसलिए इन्हें बीजासन माता मंदिर कहा जाता है।

कैसे हुई मंदिर की स्थापना?
लोगों का कहना है कि, एक बार इस स्थान पर बंजारे अपने पशुओं के साथ यहां व्यापार करने आएं थे, अचानक वो थककर सिहोर के पहाड़ पर आराम करने लगे और जब उठे तो उनके सारे पशु गायब वो कही दिखाई नहीं दे रहें थे। ऐसे में सब अपने – अपने पशुओं को ढ़ूढने लगे, जब काफी परेशान हो गए तो एक जगह एक कन्या मिली। उस कन्या ने व्यापारियों से पूछा क्या हुआ? व्यापरियों ने बताया उनके पशु नहीं मिल रहें।

तब वो कन्या उनसे कहती है, माता की पूजा करिए, तब व्यापारी पूछते है कहां है माता ? तब उस कन्या ने एक पत्थर फेंका और जब व्यापारी वहां गए तो उस पत्थर ने माता रानी का रुप ले लिया। उसके बाद बंजारो ने मिलकर उस स्थान पर मंदिर बनवा दिया। तब से वो मंदिर बीजासन माता के नाम से प्रसिद्ध है।
क्या है मान्यताएं?
कहा जाता है, इस मंदिर में जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ माता रानी की पूजा करते है। और जो सच्चे दिल से मनोकामनाएं मांगते हैं तो वो मनोकामना जरुर पूरी होती है।

