Reporter:- आलोक गौर
Festival News: रक्षाबंधन के दूसरे दिन भुजरियां का त्योहार मनाया जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा रक्षाबंधन के अगले दिन भुजरिया पर्व मनाने की परंपरा ग्रामीण अंचलों में खुब ही मनाया जाता है
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ऐसे मनाया जाता है भुजरियां पर्व
पर्व मुख्य रूप से बुंदेलखंड का लोकपर्व है। इसे कजलियों का पर्व भी कहते हैं। अच्छी बारिश, फसल एवं सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। जल स्त्रोतों में गेहूं के पौधों का विसर्जन किया जाता है। सावन महीने की अष्टमी नवमीं को छोटी-छोटी बांस की टोकरियों में मिट्टी की तह बिछाक गेहूं या जौं के दाने बोए कर रोजाना पानी दिया जाता है। एक सप्ताह में ये अन्न उग आता है। जिन्हें भुजरियां कहा जाता है।
Festival News: इस चीज का प्रतिक है भुजरिया
सावन के महीने में इन भुजरियों को झूला देने की परम्परा होती है एक-दूसरे को देते हैं शुभकामनाएं, भुजरिया पर्व पर पूजा-अर्चना कर यह कामना की जाती हैं कि इस साल बारिश बेहतर हो जिससे अच्छी फसल मिल सकें।
रक्षाबंधन के दूसरे दिन इन्हें एक-दूसरे को देकर शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद देते हैं। बुजुर्गों के मुताबिक ये भुजरिया नई फसल का प्रतीक है। शोभा यात्रा के के दौरान समाज के सदस्य नाचते गाते डांस करते हुए मुख्यमार्गो से होते घाट पर जाकर जवारे विसर्जित करते हैं
