Bhopal name change Alok Sharma statement :भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने हाल ही में भोपाल का नाम बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि शहर को भोपाल के नवाबों की पहचान नहीं, बल्कि उसकी अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान से जाना जाना चाहिए। यह बात उन्होंने तब कही जब कई स्थानों और संस्थानों के नाम बदलने के बाद अब भोपाल के नाम को लेकर भी बहस तेज हो गई है। उनके अनुसार यह कदम भोपाल की संस्कृति और स्वाभिमान को नई और मजबूत पहचान देने में मदद करेगा।
ऐतिहासिक पहचान और स्वाभिमान
आलोक शर्मा ने कहा कि भोपाल की सांस्कृतिक धरोहर और इतिहास को ध्यान में रखकर शहर का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। यह बदलाव भोपाल के लिए शहरी गौरव को बढ़ाएगा और युवाओं में सांस्कृतिक जड़ों के प्रति गर्व का भाव जगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि शहर के विलीनीकरण आंदोलन और इतिहास को स्कूलों के हिंदी कोर्स में शामिल करने की भी मांग की जाएगी जिससे नई पीढ़ी को इसकी बेहतर समझ हो।
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पटेल की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय एकता पदयात्रा
सांसद आलोक शर्मा ने यह भी घोषणा की कि इसी वर्ष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर एक राष्ट्रीय एकता पदयात्रा निकाली जाएगी। यह पदयात्रा देशभर में एकता और अखंडता के संदेश को फैलाएगी और भारतीय संस्कृति के उत्सव के रूप में मनाई जाएगी। यह कार्यक्रम भोपाल की नई पहचान के साथ इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण बनाएगा।
नाम परिवर्तन की प्रक्रिया और सामाजिक प्रासंगिकता
भोपाल के नाम परिवर्तन की मांग पिछले कुछ समय से उठ रही है। इस प्रक्रिया के पीछे मुख्य कारण है राजा भोज की ऐतिहासिक विरासत का सम्मान और शहर को उसकी असली पहचान लौटाना है। सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर इस बदलाव को लेकर चर्चा चल रही है, जिसमें कई नागरिक इसे मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक शुद्धि और गौरव की भावना का हिस्सा मानते हैं।
भोपाल का नया नाम उसकी स्वाभाविक और प्राचीन विरासत को दर्शाएगा, जो स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। साथ ही यह कदम भोपाल को सांस्कृतिक रूप से और अधिक सुदृढ़ करने में सहायक होगा।
