pre-wedding ban in Banswara Community: बांसवाड़ा जिले के हाड़खरा पटेल समाज ने समाज में बढ़ती महंगाई और अनावश्यक दिखावे की रस्मों के खिलाफ एक बड़ा सामाजिक सुधार अभियान शुरू किया है। समाज के सदस्यों का मानना है कि शादी-ब्याह और अन्य पारंपरिक रस्मों में खर्च बढ़ता जा रहा है, जिससे आम परिवार प्रभावित हो रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए समाज ने नई सामाजिक संहिता लागू की है, जो सादगी और समानता के सिद्धांतों पर आधारित है।
इस सामाजिक सुधार अभियान के तहत समाज ने कई पारंपरिक रस्मों और अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इन नियमों का उद्देश्य है कि समाज में सामाजिक समानता बनी रहे और लोग दिखावे के लिए अत्यधिक खर्च न करें।
समाज ने लागू नया कानून
समाज की नई संहिता के अनुसार, 35 गांवों में शादी-ब्याह में प्री-वेडिंग शूट और हल्दी रस्म पर स्टेज प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा आतिशबाजी और महंगे शोक संस्कार जैसी रस्मों को भी सीमित किया गया है। समाज के वरिष्ठ और युवा सदस्यों ने मिलकर तय किया कि इन नियमों का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य होगा।
समाज ने यह भी स्पष्ट किया कि नियमों का पालन न करने पर दंड का प्रावधान रहेगा। इसका उद्देश्य केवल लोगों को सिखाना नहीं बल्कि उन्हें सामाजिक जिम्मेदारी का अनुभव कराना है। समाज का मानना है कि पारंपरिक रस्मों को सादगी और सम्मान के साथ निभाना चाहिए, न कि दिखावे और खर्च की होड़ में।
pre-wedding ban in Banswara Community: आम सभा में लिया गया निर्णय
यह निर्णय हाल ही में समाज की आम सभा में लिया गया। सभा में युवा और वरिष्ठ दोनों पीढ़ियों ने एकमत होकर पारंपरिक संस्कारों को सादगी और सामाजिक समानता की दिशा में मोड़ने का संकल्प लिया। सभा में चर्चा के दौरान यह भी तय किया गया कि समाज के सदस्य आने वाले समय में इन नियमों को अपने परिवार और समाज में बढ़ावा देंगे।
समाज ने यह संदेश दिया कि बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने का समय अब है। युवा पीढ़ी ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि समाज में अनावश्यक दिखावे और खर्च की प्रवृत्ति को कम करना आज के समय की जरूरत है।
शादी के लिए नियम

- शादी में प्री-वेडिंग बंद।
- हल्दी रस्म पर स्टेज प्रोग्राम, टेंट बंद कर पुरानी परम्परा लागू।
- महिला संगीत बंद।
- शादी में नहीं होगी आतिशबाजी।
- शादी में रीत की राशि 1100 रुपए वितरित करने का निर्णय।
- दीपावली आणा और पारणी आणा होने पर केवल पति अकेला लेने जाएगा।
- गोद भराई रस्म में स्टेज प्रोग्राम और सजावट को बंद किया।
- ढूंढोत्सव में केवल भाई और मामा 2 लोग ही ढूंढ देने जाएंगे।
- ढूंढोत्सव होली के पूर्व 4 दिन के भीतर सुविधानुसार होगा।
- गांव में या धार्मिक स्थल पर बाधा निवारण (बोटण) को सीमित किया।
- भोजन प्रसादी में लापसी या सूजी का हलवा बनाने का निर्णय।
शोक कार्यक्रम के नियम

- किसी भी गांव में मौत के दिन लोकाचार के लिए कोई नहीं जाएगा।
- सुतकारा सिर्फ कुटुंब ही उतारेगा, उसमे बाहर से कोई नहीं जायेगा।
- 11वें पर परिवार ही हरवन घड़ा रखेगा।
- दूसरे गावों से हरवन घड़ा रखने शाम के समय रिश्तेदार नहीं आएंगे।
- 12वां यथावत पूर्व की भांति रहेगा, उसमे चप्पल केवल 13 जोड़ी ही दिए जाएंगे।
- 12वें के भोजन में लापसी ही बनाई जाएगी।
- 40 साल से कम आयु की मौत पर 12वें की रस्म में नजदीकी रिश्तेदार ही शामिल होंगे।
- श्राद्ध परिवार स्तर तक ही करने का निर्णय लिया।
- केवल 3 माह में ही होपना कर दी जाएगी, विधवा महिला पीहर के अलावा कहीं नहीं जाएगी।
- मौत के बाद माईया, तरपाकी, छह माही, धरवे, बरसी (मरण तिथि) कलपणे पूरी तरह बंद।
सामाजिक सुधार अभियान का उद्देश्य
pre-wedding ban in Banswara Community: हाड़खरा पटेल समाज का यह सामाजिक सुधार अभियान केवल रस्मों पर खर्च को कम करने तक सीमित नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में सादगी, समानता और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है। समाज का मानना है कि यदि सभी सदस्य इन नियमों का पालन करेंगे, तो सामाजिक संरचना मजबूत होगी और परिवारों पर अनावश्यक आर्थिक दबाव भी कम होगा।
