
Allahabad High Court Verdict
Allahabad High Court Verdict: साल 2022 से चल रहे एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते कुछ ऐसा फैसला सुनाया जिससे किसी भी लड़की का कानून, इंसाफ से भारोसा उठ जाए, जिस कोर्ट और जज से न्याय मिलने का भारोसा होता है, लेकिन कोर्ट के इस फैसले ने साबित कर दिया कि लड़किया कभी सुरक्षित हो ही नहीं सकती, और गुनाहगारों को अपराध करने का अधिकार कानून ने ही दे दिया है।
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दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई में कहा कि- “पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, उसे पुलिया के नीचे खींचकर ले जाने की कोशिश करना रेप या रेप की कोशिश नहीं मान सकते।”
Allahabad High Court Verdict: यह पहली बार नहीं…
पहले भी कुछ ऐसे संगीन मामलों में हैरान कर देने वाले फैसले किए गए है, साल 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट की एडिशनल जज पुष्पा गनेडीवाला जो कि खुद एक महिला हैं, उन्होंने एक यौन उत्पीड़न मामले में एक आरोपी को यह कहकर बरी कर दिया था कि- किसी लड़की के प्राइवेट पार्ट को स्किन टू स्किन संपर्क के बिना छूना पॉक्सो के अंतर्गत नहीं माना जा सकता हैं।
हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया था कि ‘सेक्सुअल मंशा ’ से शरीर के किसी भी हिस्से को छूना पॉक्सो एक्ट का मसला है।
Allahabad High Court Verdict: 2012 में आया था पॉक्सो एक्ट…
बाल यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 में ‘पॉक्सो कानून’ बनाया था। जिसका पूरा नाम प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है। इस कानून को इसलिए लाया गया था कि नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन उत्पीड़न मामले और छेड़छाड़ जैसे मामलों में कार्रवाई की जा सके।
इस कानून को बनाने का उद्देश्य नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों को रोकना और अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाना था।
ऐसे में हाईकोर्ट का ऐसा फैसला आना कि “पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, उसे पुलिया के नीचे खींचकर ले जाने की कोशिश करना रेप या रेप की कोशिश नहीं मान सकते।” निंदनीय है।
Allahabad High Court Verdict: क्या कानून है सच में अंधा..इंसाफ के नाम पर करता धंधा..?
जनता का सवाल, कब तक बेटियों को सबूत देना होगा ? कब तक बच्चियों को ये सब सहना होगा? कब तक ऐसे मानसिकता वाले जजो को ऐसे फैसले करने का हक दिया जाएगा? कब तक ऐसे कानून का पालन होगा? क्या ये कानून नहीं बदला जा सकता?
ऐसा ही चलता रहा तो औरते बेटियों को जन्म देने के पहले ही मार देंगी, कारण ये होगा कि उनकी बेटी को चील, वैसी जैसे लोग उसे नोच डालेंगे। और हमारा कानून कुछ नहीं कर पाएगा।
आखिर कब का और क्या था मामला?
12 जनवरी 2022 को कासगंज की एक महिला ने को अपने बेटी के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले में निचली अदालत में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायतकर्ता ने बताया गया था कि – ‘गांव के तीन युवकों ‘पवन, आकाश और अशोक’ ने बेटी को बाइक से घर छोड़ने की बात की। रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के स्तनों को छूने की कोशिश की। उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया।’
लड़की की चीख सुनकर वहां से गुजर रहे कुछ लोगों ने लड़की को बचाने की कोशिश की तो आरोपी उन्हें देसी तमंचा दिखाकर भाग गए।
पुलिस के पास गए तो एफआईआर दर्ज नहीं की गई, तो उन्होंने अदालत का रुख किया। निचली अदालत ने आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। समन में पॉक्सो अधिनियम की धारा 18 और धारा 376 के अंतर्गत जांच करने का निर्देश दिया गया था। जिसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट की सहायता ली थी।
लोगों ने दिए इस फैसले पर रिएक्शन…
एक्स पर एक यूजर ने जज की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि- “यदि इस तरह के जज न्यायालय में फैसला करने लगेंगे तो न्यायालय न्यायालय नहीं रह जाएगा बल्कि जुल्म करने का अखाड़ा बन जाएगा जिससे अपराध करने वालों का और हौसला बुलंद होता जाएगा क्या यही हमारा आज का न्यायालय है”
Allahabad High Court Verdict: दूसरे यूजर ने लिखा-
‘इलाहाबाद उच्च न्यायलय के जज का निर्णय मानवता और वास्तविकता को चिढ़ाने वाला है |
अगर आप जज हो तो क्या कुछ भी फैसला दे सकते हो?
नहीं ,बिल्कुल नहीं !!
बहुत वाहियाद और निंदनीय निर्णय ,जितनी भर्त्सना की जाये कम है’|
एक यूजर ने सवाल करते हुए लिखा कि-
” इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फरमान जारी किया है कि-
पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ने, उसे पुलिया के नीचे खींचकर ले जाने की कोशिश करना रेप, रेप की कोशिश नहीं होगी।
मतलब जज साहब चाहते है कि रेप हो? हम इनसे न्याय की उम्मीद कर सकते है?”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फरमान जारी किया है कि
पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ने, उसे पुलिया के नीचे खींचकर ले जाने की कोशिश करना रेप, रेप की कोशिश नहीं होगी।
मतलब जज साहब चाहते है कि रेप हो? हम इनसे न्याय की उम्मीद कर सकते है?#AllahabadHighCourt pic.twitter.com/A1nrxxiZgp
— Guruvendra Singh ♐ (@iamguruvendra) March 19, 2025
Allahabad High Court Verdict: वहीं एक यूजर ने नाराजगी जताते हुए लिखा कि-
” मैं उस देश की बेटी हूं, जहां लड़की का रेप और मर्डर होने के इतंजार किया जाता है, उसके बाद मोमबत्ती जलाकर दुःखी होने का ढोंग किया जाता है, इंसाफ की जगह लड़की का अपमान किया जाता है,लालंत है ऐसे इंसाफ के ठेकदारों पर, ऐसे अंधे कानून पर,ऐसे सरकार पर जिनका ऐसे फैसलों पर ध्यान न जाता हो”।
मै उस देश की बेटी हूं, जहां लड़की का रेप और मर्डर होने के इतंजार किया जाता है, उसके बाद मोमबत्ती जलाकर दुःखी होने का ढोंग किया जाता है, इंसाफ की जगह लड़की का अपमान किया जाता है,लालंत है ऐसे इंसाफ के ठेकदारों पर, ऐसे अंधे कानून पर,ऐसे सरकार पर जिनका ऐसे फैसलों पर ध्यान न जाता हो😡 pic.twitter.com/5nbxcR4kXV
— Hema Gupta (@HemaGupta123456) March 20, 2025