देश की छोटी कंपनियां सही रास्ते पर आगे बढ़ रही हैं
देश की छोटी कंपनियां सही रास्ते पर आगे बढ़ रही हैं। 7 वर्षों में इसके लाभ में 242% की वृद्धि हुई है। पिछले कुछ साल में स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज सेगमेंट में लिस्टेड कंपनियों ने अपने कर्ज में काफी कमी की है।
2023-24 में 183 सूचीबद्ध एसएमई कंपनियों का कर्ज/इक्विटी अनुपात घटकर 0.5 हो गया है। यह वित्त वर्ष 2018 के बाद सबसे कम है। वित्त वर्ष 2017-18 में इन कंपनियों का औसत कर्ज/इक्विटी अनुपात 0.9 था। इसकी तुलना (बैंक और वित्त क्षेत्रों को छोड़कर) बीएसई 200 इंडेक्स पर 152 कंपनियों से की गई थी।
इस विश्लेषण में शामिल एसएमई कंपनियों ने 2017-18 में अर्जित 100 रुपये के प्रत्येक लाभ की तुलना में 2023-24 में 342 रुपये का लाभ दर्ज किया। यानी एसएमई की लाभप्रदता में 242% की वृद्धि हुई है। जबकि बीएसई 200 कंपनियों में यह 100 रुपये से बढ़कर 218 रुपये हो गया है। यानी एसएमई कंपनियों का मुनाफा बीएसई 200 में लिस्टेड कंपनियों के मुकाबले दोगुने से ज्यादा हो गया है।
कंपनी की ताकत मापने का एक और पैमाना मौजूदा अनुपात है, जो पिछले वित्त वर्ष में पिछले सात साल में सबसे अच्छा था। 2023-24 में यह 3.4 थी। 2017-18 में यह 3 पर थी। जबकि इन सभी वर्षों में, बीएसई 200 कंपनियों में यह आंकड़ा 1.3 से 1.4 तक सुधर गया है।
फॉर्च्यून इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस में फाइनेंस की एसोसिएट प्रोफेसर पूर्णिमा राव का कहना है कि लिस्टिंग से छोटी कंपनियों के कारोबार पर सकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘लिस्टिंग से कंपनियों को ज्यादा एक्सपोजर मिलता है और इससे उनकी कमाई भी बढ़ सकती है।
लाभ में वृद्धि, जो अन्य कंपनियों के बकाया ब्याज से अधिक है, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान नमूने में शामिल 183 सूचीबद्ध एसएमई कंपनियों के लिए 4.75 के ब्याज कवरेज अनुपात पर थी। जो पिछले 7 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर है। ब्याज कवरेज अनुपात इस बात का मानदंड है कि कंपनियां ब्याज भुगतान को पूरा करने के लिए पर्याप्त परिचालन लाभ कमा रही हैं या नहीं।