
179 मरीज ठीक हुए, 144 जल स्रोतों में संक्रमण की पुष्टि
GB syndrome in Maharashtra : महाराष्ट्र में 9 जनवरी को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का पहला मामला सामने आया था। अब तक 225 संदिग्ध मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें 197 में जीबीएस की पुष्टि की गई है। 179 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 24 का इलाज चल रहा है। 15 वेंटिलेटर पर हैं। कुल 12 मौतें हुई हैं। इनमें से 6 की मौत का कारण जीबीएस और 6 की मौत का कारण संदिग्ध है।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, ये सभी मामले पुणे नगर निगम, पुणे निगम गांव, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम, पुणे ग्रामीण और अन्य जिलों के हैं। इन क्षेत्रों के रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए 7262 पानी के नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए। 144 जल स्रोतों में संक्रमण की रिपोर्ट आई है।
प्रशासन ने इन जिलों में 89,699 घरों का दौरा भी किया है। इसमें पुणे नगर निगम में 46,534, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) में 29,209 और पुणे ग्रामीण में 29,209 शामिल हैं। निजी अस्पतालों को सलाह दी गई है कि वे जीबीएस के किसी भी मामले की सूचना दें।
GB syndrome in Maharashtra : एक इंजेक्शन का खर्च 20 हजार रुपये है
डॉक्टरों के अनुसार, मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) इंजेक्शन का कोर्स कराना पड़ता है। एक निजी अस्पताल में एक इंजेक्शन की लागत 20,000 रुपये है। पुणे के एक अस्पताल में भर्ती 68 वर्षीय मरीज के परिवार ने बताया कि उनके मरीज को इलाज के दौरान 13 इंजेक्शन लेने पड़े।
GB syndrome in Maharashtra : डॉक्टरों के अनुसार, जीबीएस से प्रभावित 80% रोगी अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 6 महीने के भीतर बिना किसी सहारे के चलना शुरू कर देते हैं। लेकिन कई मामलों में रोगी के लिए एक वर्ष या उससे अधिक समय लग सकता है।