अब इस मस्जिद पर दावा: अब इस मस्जिद पर दावा: राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के पास स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा में हिंदुओं के बाद अब जैन समाज ने अपना दावा ठोंक दिया है. जैन भिक्षुओं का दावा हैं कि ये स्मारक पहले जैन मंदिर था। इससे पहले सुनील सागर महाराज के नेतृत्व में ये भिक्षु अजमेर के फवारा सर्किल से दरगाह बाजार होते हुए स्मारक पहुंचे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण वाले इस स्मारक ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ को लेकर इस दावे और जैन भिक्षुओं के दौरे से अजमेर में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
Read More: AI Features से भरपूर है ये Phone!
Contents
अब इस मस्जिद पर दावा: अढ़ाई दिन का झोपड़ा झुग्गी नहीं एक महल
अब इस मस्जिद पर दावा: स्मारक के निरीक्षण के दौरान जैन साधुओं और उनके अनुयायियों ने मस्जिद में प्रवेश करने से परहेज किया। मुनि सुनील सागर ने स्मारक पर एक पत्थर के मंच पर बैठकर भाषण दिया। उन्होंने कहा आज, मैंने अढ़ाई दिन का झोपड़ा देखा और पाया कि यह केवल एक झुग्गी नहीं बल्कि एक महल है। मैंने रामायण और महाभारत के कई प्रतीकों को देखा। मुझे हिंदू धर्म की टूटी हुई मूर्तियां भी मिलीं, फिर भी दुर्भाग्य यह है कि इसे मस्जिद कहा जाता है। हमारी मांग है कि स्मारक का पुनर्विकास किया जाए और इसके पुराने गौरव को लौटाया जाए ।
अब इस मस्जिद पर दावा: क्या कहना है पुरातत्व विभाग का ?
अब इस मस्जिद पर दावा: एएसआई की वेबसाइट के मुताबिक यह स्मारक दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 1199 ईस्वी में बनवाई गई मस्जिद है जो दिल्ली की कुतुब मीनार परिसर में बनी दूसरी मस्जिद के समकालीन है। हालांकि विभाग ने सुरक्षा उद्देश्यों के लिए परिसर के बरामदे में बड़ी संख्या में मंदिरों की मूर्तियां रखी हैं, जो लगभग 11वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान इसके आसपास एक हिंदू मंदिर के प्रमाम देती है । यहां अढ़ाई दिनों तक मेला लगता था जिसके कारण ही इस मस्जिद को ‘अढाई दिन का झोंपड़ा’ के नाम से जाना जाता है।
Read More: हाउसिंग फाइनेंस IPO: आज खुल गया आधार हाउसिंग फाइनेंस का IPO